लड़की परायी धन होती है अपने घर में है तो माँ पापा बोलते है और शादी करके ससुराल जाती है तो ससुराल वाले बोलते है लेकिन लड़की का घर है कहा???? इसके उलट देखिये तो ये दुनिया को जन्म देने वाली भी लड़की ही है वो है धरती माता ! राजा को या गरीब को सबको लड़की ही जन्म देती है फिर भी लड़की परायी है ? भगत सिंह हो या मोदी हो , राम हो या रहीम हो सबको को लड़की ही जन्म दी है फिर उनका अधिकार कंही साबित नहीं होता है ??
अगर बात किया जाये आज़ादी के ६० साल बाद भी तो आज भी लड़की की दशा में उतनी सुधार नहीं ...आई है जितनी होनी चाहिए ! भारत के कुल गावों में सरकारी बिधालयो में देखा जाये तो कंही भी लड़की सौचालय की सुबिधा नहीं है आज भी कितनी लड़कियां पढ़ने में तेज होने के बाद भी
वह स्कूल नहीं जा पाती है क्योंकि उनको वो माहोल नहीं मिल पता है वहा आज भी यतायात की सुबिधा नहीं है ? और अगर कोई लड़कियां पढ़ लेती भी है तो दहेज़ के लोभी माहोल के चलते कुछ उसकी बलि चढ़ जाती है तो कुछ दहेज़ नहीं देने के वजह से ऐसे लड़के के पाले पड़ जाती है या तो वो खानदानी धनि है या खानदानी बुरबक है और बस दहेज का कीड़ा उसके सभी सपने को खा जाता है ? मै पूछना चाहता हूँ आखिर ये लडकिया जाये तो जाये कहा? जबकि टाटा हो या बिरला या फिर बिल गेट सभी ने एक औरत से ही जन्म लिया है ! कितनी लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है !
एक गर्भ में पल रही बेटी माँ से दुआ करती है..
हे माँ मुझे भी आने दो दुनिया में
मै भी रानी लक्ष्मी बन सकती हूँ
मै भी कल्पना चावला बन सकती हूँ
मै अगर ये सब नहीं कर सकी फिर भी
भगत सिंह जैसे पुत्र दे सकती हूँ
मै शायद कोई दूसरा चंद्रशेखर
या स्वामी विवेकानंद दे सकती हूँ
माँ मुझे भी आने दो इस दुनिया में
मत मारो मुझे मै भी सरला ठकराल बन जाऊ या बना दू ...
बेटी बचाओ कल हमारा होगा
बेटी पढ़ाओ देश को आगे बढ़ाओ
Save Water Water is life
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